ददिया की कहानी

ददिया की कहानी

ददिया मुझे सुना दो
फिर छोटी सी एक कहानी
जिसमें प्यारा सा राजा हो
और प्यारी सी रानी
राजा हो ऐसा न्यारा,
जो न्याय सदा ही करता हो
महाबली हो, कभी किसी से
कहीं नहीं डरता हो
राज्य था उसका सुखमय
सुंदर बहे दूध की नदियाँ
जंगल की एक कथा सुना दो
ओ प्यारी सी ददिया
कहाँ गया वह शेर भयानक
जिससे मुझको डराती थी
वह अनोखी बिल्ली जो
सौ मन चूहे खा जाती थी
सुल्ताना डाकू की बातें
अब तक रही अधूरी
तोता-मैना की कथा को
ददिया कर दो पूरी
नील गगन में रहते कैसे
बोलो चाँद सितारे
कैसे रोज चमकते नभ में
सूरज चंदा तारे
ऐसी ही कुछ बातें बचपन में
मैं नित्य करती थी
कथा सुनाने की जिद पर
मैं रोती थी, अड़ती थी
रही नहीं, तेरी अब कोई
जगह यहाँ घर-घर में रहे
रहे कहीं वृद्धा घर में या
फिरे कहीं दर-दर में
युग बदला जीवन भी बदला
बातें हुई पुरानी
नहीं है, कोई राजा और
नहीं है कोई रानी
ददिया का मनुहार
प्यार सब कुछ है भूले-भूले
दोरंगी दुनिया में जीते
रहते फूले-फूले
घर आँगन है, चकमक-चकमक
पर जीवन का रंग फीका
आडंबर बना है जीवन
बदला स्वाद हमारे जी का।


Image : Grandmother with three grandchildren
Image Source : WikiArt
Artist : Ferdinand Georg Waldmüller
Image in Public Domain

रूबी भूषण द्वारा भी