अच्छा घर

अच्छा घर

काफी समय से वे पुत्र के लिए अच्छे घर की तलाश में हैं। एक बार वे हमारे पड़ोस में भी एक घर में आए।

बात कुछ जँच गई, तो सुमन जी बोले, ‘सब अच्छा है, लड़की पढ़ी-लिखी है।’

‘जी, यह तो आपकी सोच अच्छी है…बाकी और कोई डिमांड हो, तो अभी तय कर लेते हैं…।’

‘नहीं, बस, जिसने लड़की दे दी, समझो, सब-कुछ दे दिया…।’

यह सुनकर ओजसिंह के हाथ जुड़ गए। वक्त देखकर सुमन जी ने कहा, ‘हाँ, एक वह रेडियो होता है न, जिसमें तस्वीरें आती हैं…वह दे देना।’

ओजसिंह के हाथ जुड़े रह गए।

‘एक बोतल ठंडी करने वाला बक्सा भी दे देना, बच्चों के काम आएगा।’

ओजसिंह के हाथ खुलने लगे।

‘तेल से चलनेवाली साइकिल तो दोगे ही?’ सुमन जी ने हँसते हुए कहा, ‘घूमने-फिरने के लिए ठीक रहती है।’

ओजसिंह ने उठकर हाथ जोड़ते हुए कहा, ‘सुमन जी, हम इस कदर लायक नहीं है, आप कोई और घर देखिये।’ थुलमुल सुमन जी तत्काल उठकर चले गए।

तभी बाहर से एक भिखारी ने गिड़गिड़ाकर भिक्षापात्र बढ़ाते हुए कहा, ‘कुछ दे दो, अंधा गरीब हूँ।’ ओजसिंह ने कहा, ‘कोई और घर देखो।’


Image : Blind Old Beggar
Image Source : WikiArt
Artist : Jusepe de Ribera
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अशोक भाटिया द्वारा भी