खानाबदोशी

खानाबदोशी

मेरी खानाबदोशी मुझे ले जाती है
आसमान के सातवें तल
जहाँ पर मैं इन्क्लाब की नज्में लिखता हूँ
सीने की आग को बचाते

यह खानाबदोशी मुझे मेरी नज्मों से मिली
हुक्मरानों के ख़लिफ़ा आवाज़ उठाने का हुनर
मैंने माँ के पेट से पाया आकाश और पृथ्वी को मिलाते

इसी खानाबदोशी से मैंने अपने शत्रुओं को परास्त किया
दरिया के पानी से अपनी प्यास को बुझाया अपने सफर में
समुंदर से नमक लाकर अपनी पसंद वाली लड़की को दिया
ताकि उसके चेहरे का नमक और ज्यादा गहरा हो उसे निखारते

इस खानाबदोशी को बचाए रखने के लिए अपनी तेज रफ्तार नाव
हवाओं के रहमो-करम पर छोड़ दिया एक अच्छे मुसाफिर की तरह
रोटी के लिए कुम्हार के घर नौकरी कर ली मिट्टी लाने के बदले
मेरी लाई हुई मिट्टी से कुम्हार ने एक नई भाषा का ईजाद किया

इस खानाबदोशी में धूप से बचने के लिए
मुझे एक छाते की दरकार थी
जबकि सारे रंगीन छाते मुल्क के
बादशाह के महल में सजाकर रखे गए थे

लड़की ने मेरे लिए एक काले रंग का छाता
अपने चेहरे का नमक बेचकर बाजार से खरीदा
और मुझे तोहफे में दिया इस भरोसे के साथ
कि काले रंग से मुल्क का हर सियासतदाँ डरता है
और यह छाता उनसे मेरी हिफ़ाज़त भी करेगा

लड़की का साथ निभाने के लिए मैंने
मछली पकड़ने वाला मजबूत जाल खरीद लिया
इस जाल से मैं खाने वाली मछली पकड़ता
लड़की मछली बाजार जाकर बेच आती

अपनी थकान से चूर लड़की मेरी थकान को भगाने के लिए
सिंदबाद के सफर का नायाब किस्सा सुनाती रात-रात जागकर
मेरे किस्से में मेरी नाव रहती दरिया को जीतती हमेशा की तरह
लड़की के किस्से में उसका सफर रहता चाँद से गुफ्तगू करता

मेरे किस्से के एवज लड़की मेरी नज्में खुद गाकर सुनाती
किसी गाने वाली मैना की आवाज़ में दरिया के परिंदों को।


Image : The Umbrella
Image Source : WikiArt
Artist : Marie Bashkirtseff
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