राम
- 1 August, 2024
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-ram-by-ramdarsh-mishra/
- 1 August, 2024
राम
राम
तुम्हारी छवि तो देश के कण-कण में व्याप्त है
तुम मानव-मूल्यों के असीम प्रकाश के
मूर्त रूप हो राम
मनुष्य तो मनुष्य
हवाएँ, नदियाँ, पेड़, पंछी, फसलें
सभी तुम्हारे महिमा-गीत गाते लगते हैं
उत्सवों और त्योहारों में
तुम्हारी कथा की गूँज भरी होती है
तुम्हारी मनोहारी व्याप्ति देखने के लिए
भीतरी आँखें खुली होनी चाहिए
मुक्त होना चाहिए मन-मंदिर का द्वार
तुम किसी पाषाण-गृह में सिमट
नहीं सकते राम
पाषाण-गृह तो तुम्हारी व्याप्ति की ओर
संकेत करने का माध्यम होता है
किंतु क्या विडंबना है कि
लोग पाषाण-गृह में स्थित मूर्ति को ही
तुम्हारा पर्याय मान लेते हैं
और पूजा मान लेते हैं
अपने द्वारा किए गए जयकार की
चिल्लाहट को।
Image : sri rama breaking the bow
Image Source : WikiArt
Artist : Raja Ravi Verma
Image in Public Domain