आवाज़

आवाज़

जिसे मैंने
भय-सहित कहा
वह भय-रहित रहा
और जिसे मैंने
भय-रहित कहा
वह भय-सहित रहा
मगर मेरे कहने भर से
होता ही क्या है?
जंगल में मोर नाचा,
किसने देखा?
कभी-कभी, गंजे को भी
खाज़ होती है
और सिर्फ़ नगाड़े की ही नहीं,
तूती की भी आवाज़ होती है
लो, देख लो, वहाँ, उधर
सुर्ख-स्वर्णिम सुबह हो रही है
और एक बार फिर।


Image : hindu motif or graduated red
Image Source : WikiArt
Artist : Frantisek Kupka
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