भारत दुर्दशा
- 1 August, 2024
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- 1 August, 2024
भारत दुर्दशा
रोअहू सब मिलिकै आवहु भारत भाई
हा हा, भारत दुर्दशा न देखी जाई!
सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो
सबके पहिले जेहि सभ्य विधाता कीनो
सबके पहिले जो रूप रंग रस भीनो
सबके पहिले विद्याफल जिन गहि लीनो
अब सबके पीछे सोई परत लखाई
हा हा, भारत दुर्दशा न देखी जाई!
जहँ भए शाक्य हरिचंदरु नहुष ययाती
जहँ राम युधिष्ठिर बासुदेव सर्याती
जहँ भीम करन अर्जुन की छटा दिखाती
तहँ रही मूढ़ता कलह अविद्या राती
अब जहँ देखहुँ दुःखहिं दुःख दिखाई
हा हा, भारत दुर्दशा न देखी जाई!
लरि बैदिक जैन डुबाई पुस्तक सारी
करि कलह बुलाई जवनसैन पुनि भारी
तिन नासी बुधि बल विद्या धन बहु बारी
छाई अब आलस कुमति कलह अँधियारी
भए अंध पंगु सेब दीन हीन बिलखाई
हा हा, भारत दुर्दशा न देखी जाई!
अँगरेज राज सुख साज सजे सब भारी
पै धन बिदेश चलि जात इहै अति ख्वारी
ताहू पै महँगी काल रोग बिस्तारी
दिन दिन दूने दुःख ईस देत हा हा री
सबके ऊपर टिक्कस की आफत आई
हा हा, भारत दुर्दशा न देखी जाई!
Image: Bharat Mata
Image Source : WikiArt
Artist : Abanindranath Tagore
Image in Public Domain