थियेटर
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थियेटर
पर्दा उठा और मेरी नींद खुल गई धूप की आवाज़ पर
सामने ढेर सारे दर्शक थे चिनिया बादाम हाथों में लिए
मेरे हाथ लेकिन तुम्हारी कमर से लिपटे थे मुहब्बत से
तुम थीं कि रिश्ता तोड़ लेने का फैसला सुना रही थीं
किसी अभिनेत्री के जैसी प्रेम के यक्ष-प्रश्न से घबराकर
नेपथ्य के वादक थोड़ा झिझक रहे थे पतझर से
पृथ्वी सो रही थी पहाड़ से चिपककर भय में
तुमने कहा कि मेरा वादक पहले सोई पृथ्वी को जगाए
ताकि तुम हरे वृक्षों से घिरे जलकुंड में नहा सको
इन अभागे दिनों में कलाकार के कपड़े फटे हों जब
मैं कैसे जगा दूँ सोई हुई पृथ्वी को सपने देखते पहाड़ को
और यह भी कि मेरा समय रेत से घिरा है पानी से नहीं
मंच का दृश्य बदलता है जोकर की बदरंग हँसी पर
इस हँसी का अनुवादक रोता है अपने रोने की भाषा में
देश का प्रथम नागरिक निश्चिंत है कि दुःख उससे दूर है
दुःख में तो नायक हैं, नायिका हैं, जोकर हैं, अनुवादक हैं
पर्दा गिरता है तो तालियाँ नहीं बजतीं अब किसी थियेटर में
Image name: They Cha U Kao, Chinese Clown, Seated
Image Source: WikiArt
Artist: Henri de Toulouse
This image is in public domain.