संवेदना के सूखते दरख़्त

संवेदना के सूखते दरख़्त

ग्लोबल होती हुई दुनिया के
महानगरीय बोध की चकाचौंध में
आँखों पर बँधी हुई पट्टी
जो नहीं देखती
टूटते हुए घरौंदें का दर्द

वह नहीं देखती
मानवीय संवेदना के
सूखते हुए दरख्त
और खो रहे विश्वास के बीच
टूट रहा है आज अपना परिवेश

उत्तरआधुनिकता की
लपेटे हुए चादर
आज का समय
धीरे-धीरे बढ़ रहा
पाश्चात्य सभ्यता के ओवरब्रिज से
जो निकल जाना चाहता है बहुत आगे

समय की गति
अपनी धुरी से फिसलकर
बढ़ रही एक ऐसी दुनिया की तरफ़
जहाँ दिन-ब-दिन
दम तोड़ रही है
संवेदना की बहती हुई नदी…


Image name: Yellow Tulips
Image Source: WikiArt
Artist: Thomas Dewing
This image is in public domain.