शिव ही जाने

शिव ही जाने

(मूल कन्नड़ से हिंदी अनुवाद : टी.जी. प्रभाशंकर प्रेमी)

हमारे सपने में खिले फूल
जाने किसने फाड़ा!
हरे धुन में हमें डुबोया गीत कहाँ अब?
हमारी आस तैराया सरोवर
हाय! सूख गया न!
अधोलोक में पैठे गए क्या
हमारे गीत सारे!
हमारी जवानी को फुलाया वह
गीत कहाँ अब?
दीमक चढ़कर कीड़े पड़े हैं
कब्र के अंदर बाहर
नक्षत्र टूटकर उल्का कोयला
पड़ते हैं ऊपर
चाँदनी के भस्म बरसते
हमारे सिर पर
स्तन से सटा शिशु अब
न हिलता न डुलता क्यों?
शिव ही जाने! शिव ही जाने!


Image name: Agony
Image Source: WikiArt
Artist: Egon Schiele
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