खुद का जिबह

खुद का जिबह

सुख असीम
या दुःख हो अनंत
सिर्फ एक मन:स्थिति हैं…
पर
सुख के निर्विघ्न क्षणों में
मन-रथ के घोड़े जब निरकुंश होकर
पंक में सरपट दौड़ने लगे तो
विवेक के खड़क से
खुद को…
जिबह करने दौड़ पड़ता हूँ।