बाद मेरे भी ये जहाँ होगा

बाद मेरे भी ये जहाँ होगा

बाद मेरे भी ये जहाँ होगा
जाने फिर आदमी कहाँ होगा

मेरी आवाज़ हो न हो लेकिन
मेरा लिक्खा हुआ बयाँ होगा

मैं न आऊँ नज़र तो मत रोना
ख्वाब मेरा यहाँ-वहाँ होगा

उसने रोका जुलूस ताक़त से
कल की तारीख़ में रवाँ होगा

आग के फूल खिलखिलाएँगे
ख़ून मेरा जहाँ गिरा होगा।


सुभाष राय द्वारा भी