विरक्ति

विरक्ति

आकाश के बादल मेरे
बिखरे पड़े हैं खंड में
प्यार की तूली लिए
अब आना न तुम दहलीज़ पर

बंद दरबाजे खुलेंगे
अब नहीं भाव भँवर गूँज से
अब न कोई खंड ऐसा है बचा
प्यार की जो बात तुमसे कर सके

बात ऐसी हो गई कि
प्यार की दुश्वारियों में
रात की उनींदी पहर
मैं जी रहा

प्यार की रंगीनियाँ सब
हो छलावे रोक मेरी राह को
ठहराव दे चल गई चुपके सरक
पिछवाड़े की गुमसुम राह से

और अब तो जी रहा मैं
श्याम बादल खंड का
आकाश हो!


Image name: Clouds
Image Source: WikiArt
Artist: Arkhyp Kuindzhi
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