उदास रोशनी का सफ़रनामा
- 1 April, 2021
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- 1 April, 2021
उदास रोशनी का सफ़रनामा
एक चमकीली रात में
उदास तारों के साथ
मैं निकल जाता हूँ अक्सर
किसी अनजान सफ़र पर
और देखता हूँ
नगरीकरण से प्रताड़ित
गाँव का पुराना बरगद
छठ मैया के अर्घ्य को जोहता
शहर की कृत्रिम झील का घाट
म्यूजियम की भीड़ में
ख़ुद को तलाशता
अपना प्रतिबिंब खोजता
कोई आदमक़द आइना
उसी तरह उदास है
जैसे डाँट पड़ने के बाद
खड़ा ख़ामोश बच्चा
जैसे रमजान के बाद
ख़ाली पड़ी मस्जिदों के अहाते
जैसे पतझड़ की रुत में
झड़े पत्तों को अपनी तलहटी में
देखता कोई नग्न बग़ीचा
न्यूज चैनलों पर चीखते एंकरों की
उलटबाँसियों में गुम हुई
आम आदमी की आवाज़-सा
पाँच बच्चों के लिए बनी
अंडे की सब्ज़ी के लालच में
बटलोही में शोरबे और आलुओं के बीच
दबे चार अंडों को ताकता
सात जन का ग़रीब परिवार
तमाम दफ़्तरों में भटकते
सरकारी जुमलों में
दफ़न हुई उम्मीदों की रूहें
रात में चमगादड़ बनकर पेड़ों पर
उलटी लटक जाती है
मोबाइल चलाते चलाते सोया हुआ
किशोर बड़बड़ाता हुए देश के गद्दारों को
गोली मारने का फ़रमान सुनाता है
और तमाम मेंढ़क टर्राते हुए
सन्नाटे की हत्या कर देते हैं
रात की ख़ुमारी
उन्माद में बदल चुकी है
मिथ्या गर्व के स्वप्नलोक में
चक्कर काटती देशभक्ति
बंदूक बनकर अपनी ही
कनपटी पर तनी है
और मुझे पृथ्वी की
तलहटी पर मौजूद मिट्टी
बारूद में बदलती हुई जान पड़ती है।
Image name: atar street in Yalta. Night
Image Source: WikiArt
Artist: Konstantin Korovin
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