देर तक कायम रहे हालात

देर तक कायम रहे हालात

देर तक क़ायम रहे हालात वो पैदा तो हो
सोच का यह दायरा थोड़ा बहुत लंबा तो हो

बस यही हम सोचते हैं शाम के ढलने के बाद
रात भर के रेशमी आँचल की ही चर्चा तो हो

सर के बल हम क्यों गिरें लेकर निराशा के शजर
आस के अपने घरौंदे में कोई चिड़िया तो हो

रास्ते से तो नहीं पर मोड़ से डरते हैं हम
सोचते हैं हर तरफ़ एक रास्ता सीधा तो हो

जिनके हाथों में खिलौनों की जगह हथियार है
उनके हाथों में मुहब्बत का कोई सिक्का तो हो।