हक़ीक़त क्या है

हक़ीक़त क्या है

हक़ीक़त क्या है रिश्तों की समझ आए तो अच्छा है
तुम्हें भी वक्त का नाख़ून चुभ जाए तो अच्छा है

किसी भाई ने ही तामीर की है ईंट पत्थर की
किसी भाई ही इस दीवार को ढाए तो अच्छा है

हमारी ज़िंदगी कब तक सहेगी धूप शिद्दत की
उतर कर आसमाँ से गर घटा छाए तो अच्छा है

हम अपने डाकिये से रोज़ करते हैं गुज़ारिश ये
मुहब्बत का कोई पैगाम भी लाए तो अच्छा है

हवन की आग मद्धम हो न, पूजा में कमी आए
इसी कोशिश में अपनी उम्र ढल जाए तो अच्छा है।