किस तरफ निकले थे

किस तरफ निकले थे

किस तरफ़ निकले थे और हम किस तरफ़ जाने लगे
वक्त के नाज़ुक नमूने सामने आने लगे

जाल डाले हर तरफ़ बैठा शिकारी देखकर
आसमानों के परिंदे डर से घबराने लगे

मतलबी दुनिया में हमने पाँव अपने क्या रखे
दोस्त अपने जो रहे वो भी सितम ढाने लगे

टूटती  साँसों साँसों  का जब अहसास उनको हो गया
दुश्मनों से तंदुरुस्ती की दुआ करने लगे

हम रिटायर क्या हुए मानो निकम्मे हो गए
घर के सारे लोग ताने दे के बतलाने लगे।