चरखे गा दे जी के गान!
- 1 August, 1950
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- 1 August, 1950
चरखे गा दे जी के गान!
चरखे गा दे, जी के गान!
*
एक डोरा सा उठवा जी पर
दोनों कहते बल दे, बल दे,
टूट न जाए तार बीच में
टूट न जाए तान
चरखे गा दे जी के गान!
*
उजले पूनी, उजले जीवन
है रंगीन नहीं उनका मन
तार तार भावी का कंपन
सुहाग को पहचान
चरखे गा दे जी के गान!
*
‘तार’ बने जीवन की पहरन
ढाँके इज्जत, ढाँके दो मन
दो डोरों के गँठ-बंधन से
बँधे हृदय महमान!
चरखे गा दे जी के गान!
*
तू तो कठिन बना जाता है
तुझसे रार ठना जाता है
डोरा टूट घना जाता है
इस डोरे से पी का डोरा
कितना मधुर महान!
Image Source: Wikimedia Commons
Image in Public Domain