बरसात

बरसात

काले काले मेघ तुम्हारे–बिजली की ज्वाला मेरी
यह मादक बरसात तुम्हारी–लपटों की माला मेरी
तुम सतरंगी चूनर ओढ़ो पहन लहरिया लहराओ
तुम मेंहदी-रंजित हाथों का रूप निहारो सुख पाओ
यौवन का उल्लास तुम्हारा–स्वाती की तड़पन मेरी
इंद्रधनुष का चीर तुम्हारा–झंझा भरी जलन मेरी

व्यक्त करूँ शब्दों में तुमको–मेरे पास नहीं भाषा
प्यार करूँ कितना भी तुमको पा न सकेगी अभिलाषा
जितना जान गया हूँ उससे और अधिक क्या जानूँगा
जब-जब मानव जन्म मिलेगा मैं तुमको पहचानूँगा
कजली के संगीत तुम्हारे जुगनू की ममता मेरी
मन के सारे स्वप्न तुम्हारे मन की परवशता मेरी

पावस की श्यामल पुलकों में तुमको पवन पुकार रहा
दोनों व्याकुल बाँह बढ़ा कर हो जैसे साकार रहा
भीगे वन फूलों के चंचल प्राण तुम्हें ढूँढ़ा करते
नभ पर खींच हृदय की आशा विरही मन क्रंदन करते
झूले का शृंगार तुम्हारा सूनी विरह निशा मेरी
काले काले मेघ तुम्हारे जलन मेरी तृष्णा मेरी


Image: Landscape with a Rainbow
Image Source: WikiArt
Artist: Konstantin Somov
Image in Public Domain

श्री अंचल द्वारा भी