जाने किसकी सुधियों की यह धुँआधार बरसात है!
- 1 October, 1951
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- 1 October, 1951
जाने किसकी सुधियों की यह धुँआधार बरसात है!
मेरे नयनों में लहराती आधी-आधी रात गए तक–
जाने किसकी सुधियों की यह धुँआधार बरसात है!
कोई ऐसा नहीं कि जो अब, मुझसे भर मुँह बोल सके,
कोई ऐसा नहीं कि जो अब मेरे संग संग डोल सके,
कोई ऐसा नहीं कि जो अब मेरे मन को तोल सके,
कोई ऐसा नहीं कि जो अब मेरा हृदय टटोल सके;
फिर भी टूट नहीं पाए हैं–अरमानों के तार अभी,
बुझे न आशाओं के दीपक, क्या जाने क्या बात है!
मेरे नयनों में लहराती आधी-आधी रात गए तक–
जाने किसकी सुधियों की यह धुँआधार बरसात है!
चाह रहा मैं, भूलूँ अपने बीते दिन की याद को,
चाह रहा मैं, भूलूँ अपने प्राणों के आह्लाद को
चाह रहा मैं, नहीं निहारूँ मानस के उन्माद को,
चाह रहा मैं, प्यार करूँ अब जीवन के अवसाद को;
मेरे सपनों में आ-आकर लेकिन कह जाता कोई–
अभी चमकता चाँद गगन में, अभी रात अवदात है!
मेरे नयनों में लहराती आधी-आधी रात गए तक–
जाने किसकी सुधियों की यह धुँआधार बरसात है!
मेरे मन को बाँध न पाता, आज मोह का पाश है,
मुझको तो धरती है जैसी, वैसा ही आकाश है;
फूलों को अपना लेने की, एक हृदय में प्यास है,
किंतु राह के काँटों पर ही मुझे अधिक विश्वास है;
मिट्टी में रह कर भी मैं, नभ की सीमा छू लेता हूँ–
पंकिल होकर भी सौरभमय जीवन का जलजात है!
मेरे नयनों में लहराती आधी-आधी रात गए तक–
जाने किसकी सुधियों की यह धुँआधार बरसात है!
Image: Moonlight After Rain
Image Source: WikiArt
Artist: John Atkinson Grimshaw
Image in Public Domain