चंदा मामा के गाँव
- 1 December, 2014
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- 1 December, 2014
चंदा मामा के गाँव
शुभम–तुम लोग कहाँ गए थे, भैया?
अमन–चन्दा मामा के गाँव घर।
शुभम–मुझे और हर्ष भैया को छोड़कर अंशु भैया के साथ चले गए न? मामा हमारे बारे में कुछ पूछ रहे थे?
अमन–पूछ रहे थे।
अंशु–मामा ने तुमलोगों के लिए गुलाब जामुन भेजा है। (थैला शुभम को थमा देता है। हर्ष के साथ दोनों मिठाई खाने लगते हैं।)
हर्ष–तुमलोग भी खाओ?
अंशु–हम तो छक कर खाए हैं।
अमन–मामा सोने की कटोरी में अपने हाथों से दूध-भात खिलाते थे। बड़ा प्यारा और मीठा लगता था।
हर्ष–माँ से शिकायत करूँगा, तुमलोग जान-बूझ कर हमें छोड़कर चले गए।
अंशु–हमें गर्व है कि मेरे भाई अमन और हर्ष क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी हैं। दोनों फास्ट बैटमैन और बाॅलर है। शुभम को बैडमिंटन में मन लगता है।
शुभम–तुम भी तो क्रिकेट खेलते हो।
अंशु–अरे मैं तो बाबर्ची, भिश्ती, खर हूँ। जहाँ फिट कर दो।
(चारों एक साथ हँस पड़ते हैं।)
अमन–चाँद पर मैच खेलने चलेंगे।
हर्ष–कब?
अमन–हमें ले जाने के लिए मामा स्पुतनिक लेकर आएँगे।
(सभी खुशी में तालियाँ बजाते हैं।)
शुभम–बड़ा मजा आएगा।
अमन–(शुभम के दोनों हाथ पकड़कर नाचते हुए गाने लगता है।)
चुन्नू-मुन्नू होते आवऽ
हमरा के एगो बात बतावऽ
के के चली चान प बतावऽ जा।
चान पर रहेली एगो बुढ़िया नानी,
चान पर बाटे सुंदर, हवा-पानी,
नानी रोज सुनिहिएं कथा-कहानी,
मामा आसमान से बोलावताव
आरे आवऽ,
बारे आवऽ,
नदिया किनारे आवऽ
सोना के कटोरिया में
दूध-भात लेले बाड़न,
शुभम के मुँहवा में
घुटुक।
अंशु–ऊधर देखो, मामा स्पुतनिक लेकर आ रहे हैं।
सभी–(एक साथ) आओ, मामा, आओ। कब से हम तरसते हैं।
(स्पुतनिक सामने उतरता है।)
अमन–सुन लो, भाई। पहले हमारी टीेम बैठेगी।
मामा–वाजिब बात है।
अमन–वहाँ फिल्ड कैसा है?
मामा–तुम्हारे इडेन गार्डेन से भी बेहतर।
अमन–और पिच?
मामा–सब कुछ बढ़िया है।
अमन–मामा के गाँव में मैच खेलने में बड़ा मजा आएगा।
मामा–अगला विश्व कप मेरे यहाँ तय है। दुनियाभर से लोग आएँगे। पहले पहल रूस ने हमारी खोज की। उसके बाद अमेरिका पहुँचा। अब तो सारे देश के लोग मेरे यहाँ बसना चाहते हैं।
अमन–हम भी वहाँ घर बनाएँगे।
मामा–इसीलिए तुम्हारी नानी ने जमीन घेर रखी है। घर बनाने का काम शुरू है।
अमन–हजारों साल से हमारी प्यारी नानी हमारा इंतजार कर रही हैं। उसमें सुंदर फुलवारी होगी।
माता–तुम्हारे राष्ट्रपति के मुगल गार्डेन की तरह सैकड़ों गार्डेन हैं वहाँ। मेरा चंद्रलोक सभी ग्रहों में अनूठा लोक है। लोक संस्कृति का अद्भुत देश है। चंद्रलोक फल-फूल की न्यारी धरती है।
अंशु–वहाँ हम नया इंसान बनाएँगे, नया संसार बसाएँगे, एक ग्लोबल दुनिया–जहाँ न कोई गरीब रहेगा, न कोई अमीर। कोई भेद-भाव नहीं रहेगा। परस्पर प्रेम की गंगा बहेगी।
अमन–इसके बाहर की दुनिया तरसेगी।
अंशु–नहीं अमन! हम किसी को तरसाएँगे नहीं। सर्वत्र प्रेम बाँटेंगे।
मामा–मेरे भांजों के ख्याल बड़े ऊँचे हैं।
अंशु–वहाँ से मंगल ग्रह की दूरी बहुत कम होगी।
मामा–बहुत ही कम, भांजे, बहुत ही कम।
अंशु–वहाँ से मंगल पर जीवांश का पता लगाने में आसानी होगी।
माता–अवश्य! वहाँ हम दूसरा चंद्रलोक बनाएंगे।
अमन–हम दोनों ग्रहों में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध बनाएंगे।
अंशु–हमारी पृथ्वी लोक को क्यों छोड़ दिया, प्यारे!
अमन–हाँ, भैया तीनों।
अंशु–हम आबादी का आदान-प्रदान करेंगे। विश्व की एक संस्कृति होगी। मानव की एक जाति, एक धर्म होगा।
मामा–अच्छा भाई! तुम्हारी माँ क्या बना रही हैं। जल्दी खाकर सोना है। सुबह स्पुतनिक से चल देना है।
अमन–माँ कहती हैं मामा को खिचड़ी पसंद है।
मामा–जानते हो न? खिचड़ी वे चार यार। घी, पापड़, दही, अचार?
अंशु–आखिर वह बहन किसकी है।
अमन–चलिए, मामा। माँ खाने पर बुला रही हैं।
मामा–चलो।
(सभी अंदर जाते हैं।)
पटाक्षेप
Image: Village street, Osny
Image Source: WikiArt
Artist: Paul Gauguin
Image in Public Domain