ये धरती आज भी चुप है

ये धरती आज भी चुप है, ये अंबर आज भी चुप है हमें जिस पर भरोसा है, वो पत्थर आज भी चुप हैउसी दिन से दरिंदों की शिकायत दर्ज है लेकिन वो थाना आज भी चुप है वो अफसर आज भी चुप है

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दिल करे तो कभी खफा होना

दिल करे तो कभी खफा होना हाँ मगर, हम से मत जुदा होनाइक नई फिक्र को हवा देगा जर्द पत्तों का फिर हरा होनायाद है हमको उस तबस्सुम का लब पे आते ही फलसफा होना

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चुरा के राग रंग खून से होली भर दी

चुरा के राग रंग खून से होली भर दी हवा में किसने सियासत की ये बोली भर दी चला था लेके चबेना मैं कल सफर के लिए किसी ने छिप के मेरी जेब में गोली भर दी

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अँधेरे चंद लोगों का

अँधेरे चंद लोगों का अगर मकसद नहीं होते यहाँ के लोग अपने आप में सरहद नहीं होतेन भूलो, तुमने ये ऊँचाइयाँ भी हमसे छीनी हैं हमारा कद नहीं लेते तो आदमकद नहीं होते

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ये माना आईने से सामना अच्छा नहीं लगता

ये माना आईने से सामना अच्छा नहीं लगता किसे खिड़की से बाहर देखना अच्छा नहीं लगताकहीं अब भी वो अंदर से हमें आवाज देता है मगर क्यूँ अपने अंदर लौटना अच्छा नहीं लगता

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जब भी देखूँ उनको

जब भी देखूँ उनको, आँखों के लिए राहत है उनमें पेड़ों पर आए हैं पत्ते फिर नई रंगत है उनमेंभेद सारा खोल देते हैं वो आँखों से निकल कर आँसुओं को कम भी मत समझो, बड़ी ताकत है उनमें

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