माला का पत्र : श्री उदयराज सिंह के नाम
इतमीनान रखो, जिंदगी को जीने से मैं कतरा नहीं सकती; थोड़ी झुक जाऊँ यह भले संभव हो, पर टूट नहीं सकती। चौतरफी लड़ाई लड़ रही हूँ, यह बात तो तुमने बहुत नजदीक से देखी है–समाज की रूढ़ियों से लड़ाई, जमाने के तेवर से लड़ाई, नरक के घिनौने कीड़े से लड़ाई, अपने-आप से लड़ाई।