Skip to content
नई धारा
  • गद्य धारा
  • काव्य धारा
  • कथा धारा
  • व्यंग्य धारा
  • हमारे बारे में
  • अन्य
    • संस्मरण/स्मरणइस पृष्ठ पर आपको लेख, कविताएँ, कहानियाँ, आलोचक और यात्रा वृत्तांत मिलेंगे। एक लंबा स्थापित तथ्य है कि जब एक पाठक एक पृष्ठ के खाखे को देखेगा तो पठनीय सामग्री से विचलित हो जाएगा.
    • हम इनसे मिले थे
    • स्त्री विमर्श
    • दलित विमर्श
    • भारत-भारती
    • विश्व-भारती
    • हमें यह कहना है
    • आपने यह कहा है
Menu Close
  • गद्य धारा
  • काव्य धारा
  • कथा धारा
  • व्यंग्य धारा
  • हमारे बारे में
  • अन्य
    • संस्मरण/स्मरण
    • हम इनसे मिले थे
    • स्त्री विमर्श
    • दलित विमर्श
    • भारत-भारती
    • विश्व-भारती
    • हमें यह कहना है
    • आपने यह कहा है
Search for:

1

Home » 1 » Page 65
 अब तन मंदिर उजियार करो।

अब तन मंदिर उजियार करो।

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

अब तन मंदिर उजियार करो।

और जानेअब तन मंदिर उजियार करो।
 कुलटा!

कुलटा!

  • Post author:abhiranjan.priyadarshi
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:गद्य धारा
  • Post comments:0 Comments

...बोल उठी–“यह पुराना ठग है बाबूजी। एक नंबर का लफ़ंगा, बेईमान...!” अब उस स्त्री की ओर स्वभावत: मेरा ध्यान आकृष्ट हो गया।

और जानेकुलटा!
 मधुप्रभात

मधुप्रभात

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

प्रात की किरणें सुनहली हिलीं वंदनवार बनकर

और जानेमधुप्रभात
 जय-हार

जय-हार

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

जय-माला में हार हमारी मोती बन-बन गुँथती जाती!

और जानेजय-हार
 मैं वनमाली अपने वन का!

मैं वनमाली अपने वन का!

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

मैं वनमाली अपने वन का!

और जानेमैं वनमाली अपने वन का!
 कल्पना के चरण

कल्पना के चरण

  • Post author:sanjay.panday
  • Post published:April 1, 1951
  • Post category:काव्य धारा
  • Post comments:0 Comments

पंथ खोजा किए कल्पना के चरण

और जानेकल्पना के चरण
  • Go to the previous page
  • 1
  • …
  • 62
  • 63
  • 64
  • 65
  • 66
  • 67
  • 68
  • 69
  • Go to the next page

Recent Posts

  • किस क़दर मुस्कुराने लगे हैं
  • जिस्मों में गरमाहट है
  • मेरे यार तूने सहारा दिया है
  • तुम मुसाफ़त को आसान रखना
  • मुहब्बत में तुझे ठोकर लगी है

Recent Comments

  • उदय राज सिंह स्मृति सम्मान से सम्मानित लेखकों के व्याख्यान - नई धारा on ‘स्त्री जितना दिखती है, सिर्फ उतनी भर ही नहीं होती’–सूर्यबाला
  • वातभक्षा - नई धारा on वातभक्षा
  • व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय से बातचीत - नई धारा on नई धारा संवाद : सूर्यबाला (कथा-लेखिका)
  • भारत और भारतीयता पर विचार | article on nationalism by shatrughan prasad on कभी मनुहार, कभी फटकार!

संपादक से संपर्क करें

  • +91 9334333509
  • editor@nayidhara.inOpens in your application
  • Opens in a new tab
  • Opens in a new tab
  • Opens in a new tab
  • Opens in a new tab
  • Opens in a new tab
Copyright - OceanWP Theme by OceanWP

WhatsApp us