ठाकुरोपनिषद्
तुम्हारे नयन-रथ में ही सूर्य सवार हो कर भ्रमण करेंगे : जगत-पहिया खोजने के लिए ।
तुम्हारे नयन-रथ में ही सूर्य सवार हो कर भ्रमण करेंगे : जगत-पहिया खोजने के लिए ।
बहुत करीब तुम्हारे घर से राह हमारी गुजर गयी है !
तुम हो कौन छिपे गहरे में ? पाया नहीं लाख चेहरों में