नयी कविता और बिहार

नयी कविता से समसामयिक कविता का बोध नहीं होता है। यह समसामयिक हिंदी कविता की एक विशिष्ट धारा है। यह एक साहित्यिक प्रवृत्ति है और इसमें आज का भाव-बोध अधिक व्यंजना के साथ अभिव्यक्ति पाता है।

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विरल व्यक्तित्व : शिवजी

आचार्य शिवपूजन सहाय, जिन्हें शिवजी के नाम से भी लोग जानते रहे हैं, साहित्य-जगत के यथानाम शिव और सत्य-सुंदर के मध्य में सुशोभित-समवेत, संगम की भाँति ही स्वच्छ-निर्मल–‘सत्य-शिव-सुंदर’ की प्रत्यक्ष परिभाषा थे।

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विलियम फॉकनर

विलियम फॉकनर के उपन्यास साहित्य में भी हेमिंगवे की तरह जीवनी का बड़ा समावेश है। परंतु अंतर केवल इतना है कि फॉकनर के कल्पित पात्रों में लेखक का जीवन-प्रकाश न होकर उसके परिवार की पिछली पीढ़ियों की झाँकी मिलती है।

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कश्मीरी कपड़े का करिश्मा

तब तो कमाल है साब! यह सूट सर्दी में उसको पहनाना और गर्मी में खुद पहनना। जब उसको कुछ बड़ा हो तो थोड़ा पानी का छींटा उस पर मार देना और जब आपको कुछ छोटा हो तो उस पर इस्त्री कर देना।

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आपके रास्ते

जब कभी भी ‘रास्ता’ शब्द सुनता हूँ, तो मुझे गाँव की वे पगडंडियाँ याद आ जाती हैं, जो गाँव की धूल भरी जमीन से निकलकर आम के बगीचों या लहलहाते खेतों में खो जाती हैं। शायद यह मेरे बचपन का संस्कार है, जो अपनी जगह आज भी सुरक्षित है।

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