फैसला दस-पचास में बदला

फैसला दस-पचास में बदला और इक पेड़ घास में बदलाहर निराशा को आस में बदला जब अँधेरा उजास में बदलावो बदलना भला लगा था जब कोई अच्छे की आस में बदला

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सुख की बाँहों में कभी प्यार से घेरे जाएँ

सुख की बाँहों में कभी प्यार से घेरे जाएँ और हम दुःख की तरफ आँख तरेरे जाएँजिस तरफ रहती है हर वक्त दीवारों पे नमी बस उसी ओर नयन धूप के फेरे जाएँसाँप जंगल की तरफ जाएँ मजे करते हुए और स्कूल सभी नन्हे सपेरे जाएँ

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बचपन का दोस्त हाय! रे तनहा पड़ा रहा

बचपन का दोस्त हाय! रे तन्हा पड़ा रहा डोली रवाना हो गई, झूला पड़ा रहादानी की आँख बोल पड़ी थी जरूर कुछ दरवेश मुड़ के चल दिया सिक्का पड़ा रहा

और जानेबचपन का दोस्त हाय! रे तनहा पड़ा रहा

जिस्म जैसे मकान मिट्टी का

जिस्म जैसे मकान मिट्टी का क्या भरोसा है जान मिट्टी काकिसको होता है मोह मिट्टी से कौन रखता है ध्यान मिट्टी काअस्ल में चाँद-तारे मिट्टी हैं यानी है हर गुमान मिट्टी काख्वाब थे दो दिलों के नाजुक-से

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जब तक दुनियावालों का डर रहता है

जब तक दुनियावालों का डर रहता है सिर पे इक भारी-सा गट्ठर रहता हैसब्र का मतलब इक दिन उससे पूछो तुम जो लोगों के ताने सहकर रहता हैदर्द, उदासी, आँसू, आहें, समझौते

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ऐसा उठा अचानक तूफान जिंदगी में

ऐसा उठा अचानक तूफान जिंदगी में बिखरा पड़ा है मेरा हर दर्द शाइरी मेंअच्छी भली रफाकत बदली है दुश्मनी में हक बात इस जबां से निकली जो बेखुदी मेंदुश्मन बना चुका हूँ कितने ही दोस्तों को जीने लगा हूँ जब से मैं सच की रौशनी में

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