था तो इश्क ही
उसने तो यही कहा था उसकी रूह मेरी थी मेरे जिस्म की वो मालिक थी इश्क का टाइप कुछ भी कहे दुनिया मगर फिर भी था तो...इश्क ही
उसने तो यही कहा था उसकी रूह मेरी थी मेरे जिस्म की वो मालिक थी इश्क का टाइप कुछ भी कहे दुनिया मगर फिर भी था तो...इश्क ही
लघुकथा की लंबी यात्रा में समय-समय पर कुछ ऐसे लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है जिनसे न सिर्फ लगातार लघुकथाएँ लिख रहे हैं बल्कि लघुकथा समीक्षा के क्षेत्र में कुछ गंभीर और ठोस कार्य से इस विधा की गंभीरता को स्थापित करने में मदद मिली है।
मेयो ने भारतीय समाज में व्याप्त जाति और पुरुष वर्चस्ववाद, धार्मिक अंधविश्वास और पाखंडवाद, असमानता, अस्वच्छता और इन सबका मूल कारण अशिक्षा जैसी जिन समस्याओं को ‘मदर इंडिया’ के माध्यम से विश्व समाज के समक्ष प्रस्तुत किया, वे किसी न किसी रूप में आज भी विद्यमान हैं। स्त्री और दलितों को उन समस्याओं से आज भी जूझना पड़ रहा है।
5000 साल का इतिहास समेटे मिस्र में विश्व धरोहर का दर्जा पाए मुझे जाने कब से अपनी ओर खींच रहे थे और इसे दृढ़ स्वप्न की तरह अपने दिल में तब से संजोए रखा है जब मेरी मुलाकात स्विट्जरलैंड के एंगलबर्ग शहर में पहाड़ पर स्थित होटल टेरेस में काहिरा की रहने वाली प्रसिद्ध पुरातत्वविद और मिस्र के पिरामिडों पर अनुसंधान कर रही डॉ. जोआन फ्लेचर से हुई।
तेरी यादों से बुनता हूँ रोज ये लबादा जाने वाले तुम... आखिर याद ही क्यों आते हो!
गुलों की पंखुड़ियों से भँवरों की खिलवाड़ जारी है अरब के हैं इत्र बेमिसाल लेकिन उनकी देह की गंध न्यारी है