पाप न होई
जैसी कद-काठी हो वैसी ही लाठी हो वासुदेव! वासुदेव बातों की देवी को लातों की पड़ी टेव!
जैसी कद-काठी हो वैसी ही लाठी हो वासुदेव! वासुदेव बातों की देवी को लातों की पड़ी टेव!
कवि की प्रतिष्ठा थी अपने चहेतों से वे घिरे थे उन्हें पुरस्कारों से नवाजा जाता था उनकी बातें सुनी जाती थीं तालियाँ बजती थीं फिर हवा में उड़ा दी जाती थीं
कोरोना-काल में ही सबसे ज्यादा साहित्य पर लगाव दिखा। वास्तव में साहित्य के सरोकार के बिना कोई काल नहीं होता।
जोतिबा के शब्दों में–सरकारें किसानों को लेकर तभी ठोस-कदम उठाएँगी, जब किसानों का कोड़ा सरकार और निज़ाम की पीठ पर पड़ेगा।
रेणु के लेखन में बिहार झलकता है। वहाँ का लोकजीवन, लोक-भाषा, लोक-संस्कृति सबका रूपायन रेणु के कथा साहित्य की विशेषता है
रेणु के सरोकार बहुजन समाज के सरोकार हैं, उनकी भाषा बहुजन समाज की भाषा है जो हमें सकारात्मकता से भर देते हैं।