कन्हैयालाल नंदन से वे अद्भुत मुलाकातें
उपन्यास पूरा हुआ तो मैंने नंदन जी से कहा, ‘आप पत्रकार हैं और यह पत्रकारिता पर लिखा गया उपन्यास है।
उपन्यास पूरा हुआ तो मैंने नंदन जी से कहा, ‘आप पत्रकार हैं और यह पत्रकारिता पर लिखा गया उपन्यास है।
चारों चरण सृजन के हैं आत्मनेपदी ही परस्मैपदी तो प्राण-प्रतिष्ठा से होते हैं। जड़-जंगम के बारे में अनजान फतिंगे गूलर फल में जन्मे, जगकर भी सोते हैं।
सारे गम सिर से उतारकर सारे गम तू गा। रूखी धरती पर गंगा-सी हरियाली तू ला।बदल आज के आज मुहर्रम वाले ये चेहरे घुसपैठों का नया सिलसिला चोंच मार ठहरे न्यायालय में मृतक न्याय की प्रेतात्मा नाचे और फिरंगी भूत बजाए तबला ताधिन्ना।
ख़फ़ा मुझसे हुआ था एक दिन वोमैं अपने आप से अब तक ख़फ़ा हूँन उलझो बे-वजह साए से मेरेतुम्हारी सोच से आगे खड़ा हूँ
अपने आसपास के नजदीकी लोगों के बदलते हावभाव भाँपकर मौन हो जातीं वे। बाहरी व अंदरूनी जीवन यानी दो अलग-अलग सच्चाइयाँ।
नवीन चुपचाप खड़ा देख रहा था और सोच भी रहा था कि कैसे कुछ साल पहले सोमा ने माँ के पुराने सामान और फर्नीचर को रद्दी के भाव हटा दिया यह कहकर कि ये सभी पुराने हैं।