अकेले आदमी की लौ

यह दुनिया शिलाखंड-सी... मगर वह आदमी अकेला तब भी रास्तों पर चल रहा होगा। वह गल रहा होगा हर लौ में सोये वक्त को जगाता हुआ।तुम नहीं कह सकते कि बंदूकों ने आदमी की लौ छीन ली है।

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जीवन के रंग

अमलतास हो या हो गुलमोहर फूले या ना फूले, हम दोनों जीवन के रंग को इंद्रधनुषी बनाएँ औरों को भी जीने और जीने देने का पाठ-पढ़ाएँ!

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मैं सरकार नहीं हूँ

मैं अपने परिवार का दुःख किसी को नहीं बताता मरा नहीं है मेरी आँखों का पानी मैं अपना काम आप करता सदियों से हूँ वहाँ जहाँ कोई सरकार नहीं!

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कर्त्तव्य

लाचारी कही जाए तो तो मैं ऐसी लाचारी का काम हर किसी के लिए करता रहूँगा! मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए प्रेरित करना हर किसी का कर्तव्य है!

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एक मटमैला ताबीज

मैं उसे निज़ामुद्दीन की दरगाह के आसपास देखता हूँ काम की तलाश में मैं पूछना चाहता हूँ भाई किस देश के होबस सीने पर पड़ा एक मटमैला ताबीज है जैसे कुछ बुदबुदाता वह कुछ भी बताने से इतना झिझकता क्यूँ है?

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एक दुनिया बसाएँ

एक नई दुनिया बसाएँ जहाँ न हो आतंक का भय न हो किसी तरह का डर नहीं मिले जहाँ प्रदूषण का जहर!जहाँ मिले भगवान बुद्ध की ज्ञान-शांति भगवान महावीर की अहिंसा गुरुनानक का भाई-चारा

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