बाजार
भारतीय प्रशासनिक सेवा में सफलता हासिल करने की खबर फैलते ही रमेश के घर पर बधाई देने वालों का ताँता लगा था। रमेश के पिता दरवाजे पर खड़े होकर परिचितों-अपरिचितों से बधाई स्वीकार करने में व्यस्त थे। उसी वक्त एक नौजवान किंचित मुस्कान बिखेरते हुए सामने आ खड़ा हुआ और अति विनम्र भाव से बोला–‘जी, मैं एक प्रतिष्ठित प्रतियोगी पत्रिका ‘सफलता की गारंटी’ का संपादक हूँ। रमेश जी से इंटरव्यू करना चाहता हूँ।’