‘कथालोचना के विकास में विजयमोहन सिंह का महत्तर योगदान रहा’–केदारनाथ सिंह

इस अवसर पर ‘नई धारा’ की संचालिका शीला सिन्हा द्वारा कवि केदारनाथ सिंह को नौंवें उदय राज सिंह स्मृति सम्मान से विभूषित करते हुए उन्हें एक लाख रुपये सहित सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न एवं अंगवस्त्र प्रदान किए। ‘नई धारा’ के प्रधान संपादक डॉ. प्रमथ राज सिंह ने उपन्यासकार पद्मश्री डॉ. उषाकिरण खान, व्यंग्यकार डॉ. प्रेम जनमेजय तथा कथाकार शंभु पी. सिंह को ‘नई धारा रचना सम्मान’ से नवाजते हुए उन्हें 25-25 हजार रुपये सहित सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न एवं अंगवस्त्र आदि अर्पित किए। आरंभ में स्वागत भाषण करते हुए ‘नई धारा’ के प्रधान संपादक डॉ. प्रमथ राज सिंह ने कहा कि ‘नई धारा’ केवल साहित्यिक पत्रिका भर नहीं, बल्कि हमारे लिए एक रचनात्मक अभियान है, जहाँ साहित्यकारों के सम्मान से हम समय, समाज और साहित्य को एक सकारात्मक दिशा देना चाहते हैं। यही ‘नई धारा’ की विरासत और परंपरा है।

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ईश्वर सब देखता है

मंदिर के चबूतरे पर पालथी मारकर पुजारी ने अपने प्रवचन आरंभ करने से पूर्व भगवान की मूर्ति को देखा और शंख फूँककर वातावरण में भक्ति का भाव भरा। तत्पश्चात भक्तगण की ओर मुखातिब होकर कहा–‘प्रिय भक्तो! कल मैंने आप सभी को ईश्वर की महिमा के बारे में बताया था, उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए मैं कहना चाहूँगा कि हम सब अपने जीवन में जो कार्य करें, सोच-समझकर करें, क्योंकि हम जो भी अच्छा या बुरा करते हैं, उसे कोई देखे या न देखे, ईश्वर जरूर देखता है...इसलिए हमें ईश्वर से डरना चाहिए...।’

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हिस्से का धर्म

साल भर में ही बकरी का बच्चा खा-पीकर काफी मोटा और तगड़ा हो गया था। त्योहार के मौके पर माँ-बेटे साथ मिलकर उसे बेचने बाजार जा रहे थे। बकरी के बच्चे के गले में बँधी रस्सी को खींचता हुआ बेटा आगे चल रहा था और माँ पीछे।

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आधी दहलीज पर औरतें

उम्र की आधी दहलीज पार कर चुकी औरतें सुबह-सुबह ढूँढ़ती हैं जीवन में अदरक की चाय सी महक देर तक बैठ सुस्ताती हैं सुनती हैं बीत चुकी उम्र की गूँज

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उपाय

कहीं से घूमते हुए गाँव में पधारे महात्मा को अपने घर पर बुलाकर सुस्वादु भोजन कराते हुए एक युवक ने अनुनय किया–‘बाबा जी कुछ ऐसा उपाय बताओ कि मैं इस बार इम्तहान में पास कर जाऊँ और जल्दी ही कोई अच्छी नौकरी लग जाए...।’ महात्मा ने आँखें मूँदकर कुछ पल सोचा फिर कहा–‘खूब मेहनत से पढ़ो...समय को पहचानो।’

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