प्रणय-पत्रिका
मैं प्रकृति-प्राकृत जनों का मान औ’ गुनगान करना चाहता हूँ। तुम उठे ऊँचे यहाँ तक स्वर्ग को ले
मैं प्रकृति-प्राकृत जनों का मान औ’ गुनगान करना चाहता हूँ। तुम उठे ऊँचे यहाँ तक स्वर्ग को ले
‘राठौर राज प्रिथीराज री कही वेलि क्रिसन रुकमणी री’ डिंगल की प्रसिद्ध रचना है। ये वे ही इतिहास प्रसिद्ध पृथ्वीराज हैं जिन्होंने अकबर से संधि का प्रस्ताव करने पर महाराणा प्रताप को क्षोभपूर्ण पत्र लिखा था।
साहित्य विचार-सौंदर्य का सार है; संस्कृति पारस्परिक व्यवहार-सौंदर्य का, संगीत ध्वनि-सौंदर्य का तथा चित्रकला रंग और दृष्टि-सौंदर्य का सार है वैसे ही पुरुष या नारी सृष्टि-सौंदर्य का अंतिम सत्य है।
पत्रकारों पर मजदूरों के लिए बनाए गए कानून लागू हैं या नहीं, यह एक प्रश्न उठा है। मजदूरों के लिए जो कानून बने हैं, वे उन्हें कुछ सुरक्षाएँ और सुविधाएँ देते हैं–वे बिना कारण के हटाए नहीं जा सकते, ऐसा करने पर उनकी क्षतिपूर्ति करनी पड़ेगी