डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी का पत्र
सारे भारत के लिए उर्दू अलफाज़ सर्वबोध्य नहीं हैं, हाँ, सिंध, पंजाब और पच्छाहें के कुछ संप्रदायों के लिए हो सकते हैं। पर हम चाहते हैं कि बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात, ओड़िशा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्णाटक और केरल भी बिना कोशिश किए हुए हिंदी को अपना लें; यह काम संस्कृतानुसारी हिंदी ही की मदद से हो सकता