तीन रंग का ध्वज
तीन रंग का ध्वज फहराता भारत लेकिन है सतरंगा हम विषपायी इसीलिए हैं क्योंकि हमारी माँ है गंगा।धरती भारत, नभ भारत है
तीन रंग का ध्वज फहराता भारत लेकिन है सतरंगा हम विषपायी इसीलिए हैं क्योंकि हमारी माँ है गंगा।धरती भारत, नभ भारत है
बीरबल ने जवाब के लिए पहले एक महीने का समय माँगा और बादशाह ने दिया। जब महीने के भीतर भी जवाब न दे पाया
ऐसी ही काल कोठरी में सावरकर भी तो बंद हुएवहीं कील से लिख करकेक्रांति ज्वाल के छंद दिए।ऐसे ही कितने वीरों नेभोगा उस काला पानी
रोम-रोम में राम बसा करते थे पहलेअब तो केवल रोम-रोम है, राम कहाँ हैराजधानियों में हैं गोरी और गजनबीश्रद्धा के मंदिर
दो चूड़ियों के बोझ से आ जाती थी लचक नाज़ुक कलाइयों की नज़ाकत का दौर थाबेख़ौफ़ आसमान में उड़ते थे साथ-साथ रस्मों से बार-बार बग़ावत का दौर था
चढ़ने लगा है भाव भी बाज़ारे-इश्क़ में छूने को आसमान चलीं क़ीमतें नई हमने लगा दी जान मिटाने में दूरियाँ अब मत बनाओ यार मेरे सरहदें