प्रतिरोध के विश्वकवि लैंगस्टन ह्यूज

ह्यूज तत्काल के सवालों से टकराते हुए ही संभवनीयता का सुंदर लोक रचते हैं। ममता, समता, प्रेम, सम्मान, सद्भाव और शांति के अभिनव लोक की संकल्पना ही ह्यूज को विश्वकवि बनाती है। इसी माने में भी प्रतिरोध के विश्वकवि ठहरते हैं!

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युद्धबंदी दूसरे नुस्खों से मारे जाएँगे

युद्धबंदी दूसरे नुस्खों से मारे जाएँगे नर्क क्या, वे शत्रु शहरों से गुजारे जाएँगेशहर पर हमला हुआ है आप चिंता मत करें जो यहाँ जिंदा हैं, केवल वे ही मारे जाएँगे

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ईमानदारी का लेखन

इस पुरस्कार समारोह में उपस्थित न हो पाने का मुझे उतना ही दुःख हो रहा है जितना कि भाई के विवाह में मायके न पहुँच पाने की पीड़ा किसी विवाहित बहन को ताउम्र सालती होगी। पर, मेरे लेखन में आप सबकी कृपादृष्टि, आशीर्वाद और मार्गदर्शन निरंतर बना रहे–यही कामना करती हूँ।

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कहीं वे कर न लें सबके यकीन पर कब्जा

कहीं वे कर न लें सबके यकीन पर कब्जा जिन्होंने कर लिया सारी जमीन पर कब्जाबदल गए हैं समय और समझ के पैमाने जमाए बैठे हैं जाहिल जहीन पर कब्जा

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मेरी जिंदगी कविता है

मैं लोगों को जोड़ना पसंद करता हूँ। मैं सच्चे मन से विश्वास करता हूँ कि कविता लोगों को जोड़ती है, मानवी संबंधों को दृढ़ बनाती है। सद्भावना परक सामाजिक परिवेश का निर्माण करना मेरा प्रयास रहा है। मैं लोगों को आपसी सम्मान और विश्वास के दायरे में बँधकर शांति से जीते हुए देखना चाहता हूँ।

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कटे जंगल की मिट्टी रो रही है

कटे जंगल की मिट्टी रो रही है लकड़हारे को फाँसी हो रही हैउसी से लहलहाएगा मुकद्दर तेरी सुहबत जो मुझमें बो रही है

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