‘लोग अंततः किताबों की ओर लौटेंगे’
पुस्तकें कभी समाप्त नहीं होंगी। एक तात्कालिकता है, जो चिरंतन नहीं हैं। लोग लौटेंगे, पुस्तकों की ओर लौटेंगे।
पुस्तकें कभी समाप्त नहीं होंगी। एक तात्कालिकता है, जो चिरंतन नहीं हैं। लोग लौटेंगे, पुस्तकों की ओर लौटेंगे।
स्त्रियों को शिक्षा और जागृति की ओर ले चलने का उपाय करना चाहिए न कि उनकी निजता में ताक झाँक करनी चाहिए।
कविता में वसंत विविध रूपों में आता है। समकालीन कविता में कवियों ने युगीन यथार्थ को वसंत के माध्यम से व्यक्त किया है।
साजन, होली आई है! सुख से हँसना, जी भर गाना मस्ती से मन को बहलाना मस्ती से मन को बहलाना पर्व हो गया आज– साजन, होली आई है हँसाने हमको आई है!
बचाए रखना है तुम्हें, बचाए रखना है उनसे, बचाए रखना है अपने सिर के भूत को, प्रेत को जिन को, डाकिनों को और सबसे ज्यादा कविता को
‘बाबूजी, आपकी शादी का तोहफा तो मैं आपके सामने हूँ...’ उसने वातावरण को सरल बनाना चाहा।