सफेदपोश

देशभक्ति के खूब नारे उछालता, अपने-आप को दक्षिणपंथी बताता न वामपंथी, समय देख गिरगिट की तरह रंग बदलता, शुद्ध अवसरवादी होता है सफेदपोश।

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एक रुका हुआ फैसला

खाने की मेज पर सौजन्य, शिष्टाचार, टेबुल मैनर्स का प्रदर्शन दोनों परिवारों की ओर से जम कर हुआ। सबने अपने-अपने पत्ते सीने से सटा कर छुपाए हुए तो थे मगर कोई राज किसी से नहीं छुपा था–बेडरूम में दरवाजा बंद करके हम तीनों आपस में फुसफुसाते रहे।

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जिसको चलना भी दूभर लगा

जिसको चलना भी दूभर लगा सबसे अच्छा उसे, ‘घर’ लगामाँ के चेहरे पे सुख था अलग पुत्र जब नौकरी पर लगा

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सँकरी सड़क

सभी सड़कें चौड़ी हैं या चौड़ी कर दी गई हैं, सिर्फ यही सड़क सँकरी है हमेशा जाम लगा रहता है, ट्रॉफिक वालों का पसीना छूटता है इसे नियंत्रित करने में

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1857 : एक प्रेम कथा

भाग जाना! घर से भाग जाना...ऐसा तो उन्होंने प्रेम के उस शिखर पर भी नहीं सोचा था, जब वे मिलने के लिए रात-रात भर रोया करते थे। वे बुलाते थे, रज्जो सुनती नहीं थी। अब ऐसा क्या हुआ? ईसुरी की अनुराग-भरी आँखों में ऐसा आहत भाव उभरा कि एकदम चुप्पी-सी साधे देर तक बैठे रहे। उनके मित्र धीरे पंडा भी व्याकुल हो गए। वे जानते थे, ईसुरी ने रज्जो से ब्याह नहीं किया, गर मन से मन का वरण तो हुआ है।

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