जीवन एक वचन में मुश्किल है

जीवन एक वचन में मुश्किल है बाबा इतने थोड़े धन में? मुश्किल है बाबापितृपक्ष खरमास अशुभ की भेंट हुए शुभ हो पाए लगन में मुश्किल है बाबाढिबरी की लौ में संभव है पक जाए खिचड़ी मन ही मन में, मुश्किल है बाबा

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आएगी किसके काम, कविता है

आएगी किसके काम, कविता है दूर से कर सलाम कविता हैपहले कविता बनाम जीवन थी आज कविता बनाम कविता हैजिंदगी में जो जी चुके हैं उसे फिर से जीने का नाम कविता है

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धूप से इमदाद मत लो सायबानो

धूप से इमदाद मत लो सायबानो फर्ज था सो कह दिया मानो न मानोपेशगी लो कर्ज से छुटकारा पाओ आ गया बाजार दरवाजे किसानोक्या करोगे जानकर कीमत जबाँ की खुद हिफाजत से तो हो ना बेजबानो!

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ओसारे में किसी कोने सजा कर

ओसारे में किसी कोने सजा कर मुझे रक्खा है घर ने हाशिये परतो इसमें दोष मेरा क्या है गुरुवर! मुझे दी ही गई थी मैली चादरमेरा अपराध है ऋषियों से पंगा मैं कलियुग ही रहूँगा हो के द्वापर

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जब मिले सच कोई नया भंते

जब मिले सच कोई नया भंते भूल जाना मेरा कहा भंतेज्ञान का तेल त्याग की बाती अपना दीपक स्वयं जला भंतेदुनिया बदली तो प्रश्न भी बदले कर नहीं पाए सामना भंतेहोता है ज्ञान में नशा भंते बुद्ध को होश था कहाँ भंते

और जानेजब मिले सच कोई नया भंते

क्यों रुका है राह में दर्द से भरा हुआ

क्यों रुका है राह में दर्द से भरा हुआहम भी तेरे साथ हैं तू है क्यों डरा हुआजिंदगी है इक सफर सुख-दुखों के राग हैंगा रहा है मन कोई, कोई मन मरा हुआ है

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