जीवित है प्रेम
उसी तरह जिस तरह मन नहीं मानता हिचकियों को एक नैसर्गिक क्रिया, वह रखता है विश्वास कि कोई आज भी कर रहा है उसे याद।उसी तरह जिस तरह समाज का एक बड़ा वर्ग नहीं मानता कि ईश्वर नहीं है,
उसी तरह जिस तरह मन नहीं मानता हिचकियों को एक नैसर्गिक क्रिया, वह रखता है विश्वास कि कोई आज भी कर रहा है उसे याद।उसी तरह जिस तरह समाज का एक बड़ा वर्ग नहीं मानता कि ईश्वर नहीं है,
धरा अत्यधिक अकेली होती है क्षितिज पर, क्योंकि वहाँ मान लिया जाता है उसका मिलन नभ से।भँवरा भी तब तक नहीं होता तन्हा जब तक आकर्षित नहीं होता किसी फूल से।
माथे पर सरयू नदी का जल छिड़क शुरू किया पंडित ने पूजन पेड़ों की पूजा कराई हवा ने साथ दिया बहनों ने आँखों में आसूँ लिए गालों पर चुम्बन जड़ दिए।
इस बस्ती में रहते हैं कुछ गूँगे कुछ बहरे अपनी-अपनी कब्रों में जीते हैं मरे-मरेबिना धमाका किए न कोई कुछ सुनता है
नाम महफ़िल में मेरा उन्होंने लिया आज ढेरों सवालों से मैं घिर गयाहाथ जिसने बढ़ाया था मेरी तरफ़