मंदिर मस्जिद और शिवाला तेरे दर
मंदिर, मस्जिद और शिवाला तेरे दर गोशा-गोशा नर्म उजाला तेरे दरजब-जब चाँद के पैरों में जंजीर पड़ी दौड़ के आया चाँद का हाला तेरे दरचेहरा-चेहरा फैला है अनवारे-खुदा
मंदिर, मस्जिद और शिवाला तेरे दर गोशा-गोशा नर्म उजाला तेरे दरजब-जब चाँद के पैरों में जंजीर पड़ी दौड़ के आया चाँद का हाला तेरे दरचेहरा-चेहरा फैला है अनवारे-खुदा
अगर जो साथ-साथ आन-बान ले के चलो हर एक वक्त हथेली पे जान ले के चलोकदम-कदम यहाँ शिनाख्त होने वाली है तिलक, टोपी या क्रॉस इक निशान ले के चलोबचेगा कुछ भी नहीं साथ आखिरी दम पे
दिल में जब तक लगन नहीं होती जिंदगानी चमन नहीं होतीयूँ ही गालिब गजल नहीं होता यूँ ही मीरा भजन नहीं होतीकस रही है गुरूर की टाई वरना इतनी घुटन नहीं होती
पौध कड़वाहट के काटें, प्यार बोयें रात-रानी, कुमुदिनी, कचनार बोयेंमन भी है, मौसम भी है वातावरण भी कुछ शरारत और कुछ मनुहार बोयेंजिंदगी जिंदादिली का नाम है तो
कल तलक था अब रहा नाता नहीं अब कोई आता नहीं, जाता नहींभीड़ में था चाहता तन्हा रहूँ अब अकेलापन मुझे भाता नहीं
इस हकीकत को जानती है रात बेघरों के लिए कड़ी है रातशोर के वास्ते है पूरा दिन– खामुशी के लिए बनी है रातहै अँधेरे की जेब के अंदर जेब वाली कोई घड़ी है रात