वो अपने सिवा औरों की सोचा नहीं करते
वो अपने सिवा औरों की सोचा नहीं करते कुछ ऐसे शजर भी हैं जो साया नहीं करतेवो दौर कि आईना वो रखते थे सदा साथ ये दौर कि आईना गवारा नहीं करतेखुशरंग गुलाबों पे ही रखते हैं नजर वो मुरझाते हुए फूलों की परवा नहीं करते
वो अपने सिवा औरों की सोचा नहीं करते कुछ ऐसे शजर भी हैं जो साया नहीं करतेवो दौर कि आईना वो रखते थे सदा साथ ये दौर कि आईना गवारा नहीं करतेखुशरंग गुलाबों पे ही रखते हैं नजर वो मुरझाते हुए फूलों की परवा नहीं करते
जिंदगी तूने आजमाया है सर को तेरे नहीं झुकाया हैखत तेरा बार बार पढ़ते हुए अक्स चिट्ठी में झिलमिलाया हैजान कुर्बान करके सरहद पर कर्ज मिट्टी का भी चुकाया है
दर्द भी साथ रख नमी के लिए बीज बोने हैं कुछ खुशी के लिएमेरी दुनिया में है यही काफी पास जुगनू है रौशनी के लिएकाम दुनिया में जब हजारों हैं सोचते क्यूँ हो खुदकुशी के लिए
जिनके अंदर पोल रहे हैं बनके वही तो ढोल रहे हैंहद से ज्यादा बोल रहे हैं सब्र वो मेरा तोल रहे हैंमौन धरे हैं कहने वाले बोलने वाले बोल रहे हैंकुछ वो भी चुप-चुप से हैं अब
कब कहा आज, कल चाहिए जिसमें जी लूँ वो पल चाहिएतुमने पौधा लगाया अभी और अभी तुमको फल चाहिएसड़ चुका है सरोवर का जल उनको खिलता कमल चाहिएपान अमृत का जब कर लिया कह रहा है गरल चाहिए
किस-किसको समझाऊँगा मैं पागल हो जाऊँगामैं न सफाई दूँगा कोई जहर भले पी जाऊँगाअंधों की बस्ती में किसे आईना दिखलाऊँगाजितना मुझमें डूबोगे उतना मैं गहराऊँगा