सवाल ये है कभी क्या किसी ने सोचा है

सवाल ये है कभी क्या किसी ने सोचा है गरीब आदमी ही क्यों शिकार होता हैहुआ सबेरा गली में वो लगाता फेरा दुआ जबान पे है हाथ में कटोरा हैभले इनसान का मुश्किल है गुजारा यारो गधा वो है जो दूसरों का भार ढोता है

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तुम रेशम-रेशम लगती हो

तुम रेशम-रेशम लगती हो गजलों की सरगम लगती होहरी घास पर मोती जैसी तुम शबनम-शबनम लगती होतुम मेरे उदास आँगन में पायल की छम-छम लगती हो

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खता संगीन करने में लगे हैं

खता संगीन करने में लगे हैं वो दो को तीन करने में लगे हैंसमर्थन चाहिए मुर्दों का जिनको कफन रंगीन करने में लगे हैंजिन्हें दरिया को है सागर बताना वो, जल नमकीन करने में लगे हैं

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ये तोहफा है रब का, खुदा की है

ये तोहफा है रब का, खुदा की है नेमत हमारी मुहब्बत तुम्हारी मुहब्बतहमारे सिवा होगी किसकी हिमाकत जो दिल में तुम्हारे रहे बे-इजाजतइसी एक शै पे है कायम ये दुनिया मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत

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समय का रावणी अब आचरण है

समय का रावणी अब आचरण है जहाँ देखो वहाँ सीता-हरण हैक्रिया अब सर्वनामों की शरण है हुआ संज्ञा का जैसे अपहरण हैसियासत की चलो पर्तें उधेड़ें यहाँ तो आवरण पर आवरण है

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उसने ऊँचाइयाँ बना ली हैं

उसने ऊँचाइयाँ बना ली हैं हमने कुछ सीढ़ियाँ बना ली हैंफूस की झुग्गियों के बनते ही उसने कुछ तीलियाँ बना ली हैंआदमी-आदमी नहीं लगता कौन सी बस्तियाँ बना ली हैं

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