जो चाहे धूप का रुतबा दिखाना
जो चाहे धूप का रुतबा दिखाना उसे बस पेड़ का साया दिखानाउदासी के भी दर्पण में तू हमको जरा हँसता हुआ चेहरा दिखानालगे जन्नत-सी ये दुनिया हमारी फरिश्तों को वो रुख अपना दिखाना
जो चाहे धूप का रुतबा दिखाना उसे बस पेड़ का साया दिखानाउदासी के भी दर्पण में तू हमको जरा हँसता हुआ चेहरा दिखानालगे जन्नत-सी ये दुनिया हमारी फरिश्तों को वो रुख अपना दिखाना
जुल्म ऐसे कि वो ढाते हुए थक जाते हैं और हम खुद को बचाते हुए थक जाते हैंक्या मनाएँगे किसी गैर की रूठी किस्मत वो जो खुद ही को मनाते हुए थक जाते हैंअपने अहसान गिनाते हुए थकते ही नहीं वो जो अफसोस जताते हुए थक जाते हैं
आपसे मिलकर मुझे अच्छा लगा प्यार का तेवर मुझे अच्छा लगाआपसे संवेदना यों मिली पत्थरों का घर मुझे अच्छा लगा
किनारा वह हमसे किए जा रहे हैं दिखाने को दर्शन दिए जा रहे हैंजुड़े थे सुहागिन के मोती के दाने वही सूत तोड़े लिए जा रहे हैंछिपी चोट की बात पूछी तो बोले निराशा के डोरे सिए जा रहे हैं
तुम्हारी याद को दिल से लगाए बैठे हैं हसीन ख्वाब का इक घर सजाए बैठे हैंतमाम उम्र गजाला की तरह गुजरी है तुम्हारे दर्द को अपना बनाए बैठे हैं
जिंदगी के हर सफर का है अलहदा रास्ता मेरा अपना रास्ता है, तेरा अपना रास्तामेरी यह मुश्किल भला कैसे समझता रास्ता खोज पाता मैं नहीं अब अपने घर का रास्ता