बाद मेरे भी ये जहाँ होगा

बाद मेरे भी ये जहाँ होगा जाने फिर आदमी कहाँ होगामेरी आवाज़ हो न हो लेकिन मेरा लिक्खा हुआ बयाँ होगा

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पत्ते-पत्ते, डाली-डाली कहते एक

पत्ते-पत्ते, डाली-डाली कहते एक कहानी बोल रहीं गुमसुम शाखाएँ आँधी आने वालीअंधों की बारात चली है रस्ता कौन दिखाए

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 जीवित हैं ममता भरे अर्थ
Jiv

जीवित हैं ममता भरे अर्थ

भूख कब लगना शुरू होती बग़ैर भाषा की उम्र से जानती रही माँ होंठ पर रखी हुई उँगली भर से ख़ुशियों की भाषा लिख देने का हुनर भी तो माँ ही जानती थी

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नहीं थी कविता वह

मौसम की परिभाषा में बयारें समझी जाती रही जिस तरफ़ अमृत कलश पाए जाने के ब्यौरे पेश हलाहल के लिए प्रयुक्त शब्दों के भावार्थ उसी तरफ़ से जाने मैंने साँप की सरसराहट जैसी राहों पर

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तुम्हारे प्यार को जानते शकुन्तला

तुम्हारे प्यार की निशानी बस मिल नहीं रही है तो इस विकट समय में अपनी ही आँख में डूबी ज़िंदगी नहीं मिल रही मुद्रिका की निशानी से तुम पहचान ली जाती

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