हालातों में हलाल
अब न कोई दर न दीवार न मकाँ न छत अपने हालातों में हलाल मैं छली गई हूँ उनसे जिसकी सर्जक रही हूँ मैं। Image name: Alyonushka Image Source: WikiArt…
अब न कोई दर न दीवार न मकाँ न छत अपने हालातों में हलाल मैं छली गई हूँ उनसे जिसकी सर्जक रही हूँ मैं। Image name: Alyonushka Image Source: WikiArt…
आँखों में अपनी उसकी असीम इच्छाएँ जीने नहीं देती उसे सुकून के दो पल वह गढ़ता नित नई परिभाषाएँ
बंद दरबाजे खुलेंगे अब नहीं भाव भँवर गूँज से अब न कोई खंड ऐसा है बचा प्यार की जो बात तुमसे कर सके
एक अकेला पक्षी-सा वह क्षितिज छोर के शून्य लोक में आश्रय पा लेने जीवन का उम्मीदों के ज़द में खोकर
मन के हर दु:ख-दर्द को भीतर-ही-भीतर मोड़ती है औरतें एक छलावा ओढ़ती है औरतें
बह सकूँ वादियों में निस्सिम सी मैं बाँसुरी का राग हूँ मैं मन की वो आवाज़ हूँ सुबह की पाक