किसान
तुम जिस ज़मीन को पूँजी के बूटों तले रौंदना चाहते हो उनके लिए वही भारत माता है इसीलिए उनके पाँव
तुम जिस ज़मीन को पूँजी के बूटों तले रौंदना चाहते हो उनके लिए वही भारत माता है इसीलिए उनके पाँव
एक चमकीली रात में उदास तारों के साथ मैं निकल जाता हूँ अक्सर किसी अनजान सफ़र पर और देखता हूँ नगरीकरण से प्रताड़ित गाँव का पुराना बरगद छठ मैया के…
बिहार का कवि होने के कारण और अखिल भारतीय स्तर तक अपनी रचना न ले जा पाने के कारण जानकीवल्लभ शास्त्री को अपनी कविता का कीर्तिमान स्थापित करने के बावजूद…
तुमने मेरे लिए अनन्त के अछोर तक वहीं पर हैं तीर्थ और निर्वाण का सुख भी।
मँडराने लगते हैं ख़तरे उनके अपने होने पर झोपड़ियाँ घुटने लगती हैं एक महल की आमद से
आगे बढ़ने की ललक में किसने देखा लोग कितना पीछे छूटे जा रहे हैंहमने रिश्तों के लिए दौलत कमाई अब उसी दौलत से रिश्ते जा रहे हैं