माधवदेव और भक्ति आंदोलन

सूरदास ब्रजभाषा के प्रमुख भक्त कवि हैं और उन्होंने पहले से चली आ रही ब्रज भाषा को अधिक व्यंजनापूर्ण बनाया और उसे परिष्कृत किया।

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लेबर चौराहा

कई शहरों में कई-कई लेबर चौराहे हैं अल्लापुर या रामबाग़ में बनारस या कानपुर में दिल्ली या अमृतसर में हर जगह जैसे सिविल लाइन्स है, जैसे घंटाघर है, जैसे चौक है

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सपने

हर व्यक्ति अपनी जगह से आगे बढ़कर देखता है  मल्लाह नदियों के सपने देखते हैं नदियों के स्वप्न में मछलियाँ नहीं समुद्र आता है

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कैसे बचाऊँगा अपना प्रेम

हर रात एक अलविदा कहती है  हर दिन एक निरंतर परहेज में तब्दील हुआ जाता है  क्या यह आख़िरी बार होगा  जब मैं तुम्हारे देह में लिपटी स्निग्धता को महसूस कर रहा हूँ

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घरौंदा

धूल में नहाए शैतान बच्चे  खेल रहे हैं घरौंदा-घरौंदा।  जोड़ रहे हैं ईंट के टुकड़े, पत्थर, सीमेंट के गुटके  बना रहे हैं नन्हे-नन्हे घर  हँस रहे हैं, तालियाँ पीट रहे हैं।

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