अपने भीतर झाँकने का मन
Miranda by John William Waterhouse- WikiArt

अपने भीतर झाँकने का मन

अपनी कमियाँ भी नज़र आएँगी ही उसमें आदमी मन को अगर दर्पण करे तब तोकुछ भी तो बचपन सरीखा है नहीं निश्छल अपनी हर इक उम्र वह बचपन करे तब तो

और जानेअपने भीतर झाँकने का मन
 उतरती बाढ़
Bajarmaland by Viktor Vasnetsov- WikiArt

उतरती बाढ़

दुश्मन के गढ़ में घुस कर उसे नेस्तनाबूद करने के बाद जैसे लौट आती है विजयिनी सेना छोड़ कर ध्वंसावशेष और अपनी विजय के ढेरों पद-चिह्न ठीक वैसे ही इत्मिनान,…

और जानेउतरती बाढ़

उजाले बाँटने फिर चल पड़े हैं

उजाले बाँटने फिर चल पड़े हैं हमारे दर पे नाबीना खड़े हैंये परदे रेशमी तो हैं यकीनन मेरे सपनों के इन में चीथड़े हैंहवाए-ताजगी ले आएँगे हम

और जानेउजाले बाँटने फिर चल पड़े हैं
 कविता की भाषा
On the Path by Pierre-Auguste Renoir- WikiArt

कविता की भाषा

इस आस में कभी-न-कभी तो अँखुआएँगी कविता की किल्लियाँ हरियाएँगी कविता की डालियाँ फिर कभी जब थक जाऊँगा

और जानेकविता की भाषा