बदरंग चेहरे
गहरे धूमिल-धुँधलके में दिखाई देंगे कुछ चेहरे जिनकी पहचान मटमैली-सी उभर आती है जेहन में राह की सकरी मेढ़ पर धीरे-धीरे बढ़ रही लंबी होती हुई छाया
गहरे धूमिल-धुँधलके में दिखाई देंगे कुछ चेहरे जिनकी पहचान मटमैली-सी उभर आती है जेहन में राह की सकरी मेढ़ पर धीरे-धीरे बढ़ रही लंबी होती हुई छाया
और उस वक्त पंखों को पूरा खोल देना उस खारे जल में कर देना विसर्जित अपनी तमाम कुंठाएँ
उसके गालों की सुखी हुई लकीर और मुझे शर्मिंदा होने दो अपनी कविता पर हम रचेंगे, खूब रचेंगे दुःख क्योंकि हमारे पास सुख की ढेरों कहानियाँ हैं
इस पर मुहर कौन लगाता सारे मसले कहाँ से उठते सारे फैसले कहाँ तक जाते मेरे परों को काटा गया मेरे जिस्म को नोचा गया
आपने सर उठाया नहीं तो आप पर क्यों निशाने लगे हैंमुझको रखते थे जो ठोकरों में वो गले अब लगाने लगे हैं
मन की बात बताने में दोनों को हकलाहट हैउसका भी जी ऊब गया मुझको भी उकताहट है