मेरे यार तूने सहारा दिया है
किसी ने बनाए फलक, चाँद तारे किसी ने हमें ये नज़ारा दिया हैमुझे याद है अब भी भुला नहीं हूँ जो है पास मेरे तुम्हारा दिया है
किसी ने बनाए फलक, चाँद तारे किसी ने हमें ये नज़ारा दिया हैमुझे याद है अब भी भुला नहीं हूँ जो है पास मेरे तुम्हारा दिया है
सुनना लाज़िम है कारों के हॉर्न राह चलते खुले कान रखनातुमसे लेंगे सबक आदमी सब उम्र भर खुद को इनसान रखना
बाद में जब वे सहाराश्री से जुड़े तो उन्हें फोन किया। उन्होंने कहा कि एक साप्ताहिक पत्र शुरू होनेवाला है। बेहतर होगा, एक बार आप मंगलेश डबराल से मिल लें। उनके कहने के बावजूद मैं मंगलेश जी से मिलने नहीं गया। मंगलेश जी से मेरा परिचय बहुत पहले से था मगर कभी भी उन्होंने ऐसी कोई उत्सुकता नहीं दिखाई कि उनसे मैं मिलता। फिर भी अपने बलबुते मेरा संघर्ष जारी था। बहुत बाद में साहित्य अकादेमी परिसर में नामवर जी मिल गए। वे पार्किंग में गाड़ी से उतर रहे थे। गाड़ी सहारा की ओर से उन्हें मिली थी। देखा तो रुक गए।
तोड़कर अपने चतुर्दिक का छलावा जबकि घर छोड़ा, गली छोड़ी, नगर छोड़ा कुछ नहीं था पास बस इसके अलावा विदा बेला, यही सपना भाल पर तुमने तिलक की तरह आँका था
अम्मा मुझे अबूझ पहेली लगतीं। हमलोग दिनभर भारी श्रीनाथ को गोद में टाँगे फिरते हैं। मैदान में खेलते कम इसकी चौकसी अधिक करते हैं कि कंकड़-पत्थर बीन कर न खा ले। लेकिन आम्मा आरोप लगाती हैं। अम्मा का असमंजस अब समझ में आता है।
कमाने का वसीला है न खाने का कोई साधन परेशाँ आज कल हर आदमी है तो ग़लत क्या हैजहाँ रौशन दिये थे हमने फूकों से बुझाया है वहाँ पर आज फैली तीरगी है तो ग़लत क्या है