भाषाविद्–डॉ. राजेंद्र प्रसाद

उनकी शिक्षा-दीक्षा फ़ारसी से आरंभ हुई थी। लगभग दस वर्ष की आयु तक वे यह शिक्षा, अपने जन्म-ग्राम जीरादेई में घर पर ही प्राप्त करते रहे। उन्होंने लिखा है कि अँग्रेज़ी-अध्ययन के लिए छपरा जाने के पहले करीमा, मामकीमा, खालकबारी खुशहाल-सीमिया, दस्तूरुलसीमिया, गुलिस्ताँ–और बोस्ताँ वे पढ़ चुके थे।

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प्रायश्चित्त

कृष्ण कुमार बाबू कचहरी से आए, तो ऐसे थके हुए थे, जैसे उनमें जान ही नहीं थी। न दिल का पता चलता था और न दिमाग ठीक से काम करता था। घर में आते ही कमरे में घुस गए। शेरवानी उतार कर बड़ी बेदिली से एक ओर डाल दी, और पलंग पर लेट गए।

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दो नीली चमकीली आँखें

भादो की काली अंधेरी रात–बादल झूम-झूम कर बरस रहे हैं। सर्वत्र गंभीर नीरवता छाई है। सभी फ्लैटों की खिड़कियाँ बंद हैं

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कवि पंत की काव्य-साधना

आधुनिक हिंदी कविता के इतिहास में कोमल प्राण कवि सुमित्रानंदन पंत की देन किसी भी दूसरे बड़े कवि से कम महत्त्वपूर्ण नहीं।

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श्री राधाकृष्ण : एक इंटरव्यू

दो बजे दिन में पहुँच ही गया उनके भट्टाचार्य लेन स्थित निवास स्थान पर। आवाज दी। एक तेरह-चौदह साल का लड़का भीतर से निकला।

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